लोसर तिब्बती भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ होता है – ‘नया वर्ष’ (‘लो’ = नया, ‘सर’ = वर्ष ; युग) यानी लोसर मतलब नया साल। लोसर अरुणाचल प्रदेश के तवांग डिस्ट्रिक्ट के मोनपा ( जो कि अरुणाचल प्रदेश के मुख्य ट्राइब्स मे से एक है) का सालाना उत्सव है। ये फेस्टिवल या तो फरवरी के अंत मे या मार्च के शुरू में पड़ता है|
मोनपा लोग लोसर की तैयारियां दिसंबर से ही शुरू कर देते है जैसे घर की साफ़ -सफाई करवाते है ,नए कपडे खरीदे जाते है,खाने पीने का सामान इकठ्ठा किया जाता है ,तरह-तरह के बिस्कुट और मीठी मठरी अलग-अलग आकार मे बनाई जाती है जो खाने मे बड़ी स्वादिष्ट होती है । ये फेस्टिवल तीन दिनों तक मनाया जाता है । पहले दिन लोग अपने घरवालों के साथ ही इसे मानते है और घर मे ही खाते पीते और विभिन्न तरह के खेल खेलते है । दूसरे दिन लोग एक -दूसरे के घर जाते है और नए साल की बधाई देते है । और तीसरे दिन प्रेयर फ्लॅग्स लगाए जाते है ।
लोसर फेस्टिवल में होने वालें कार्यक्रम
ईटानगर की एक मोनॅस्ट्री जो की सिद्धार्थन विहार मे है, वहां इस फेस्टिवल को मनाया जाता है जिसका आनंद वहाँ आने वाले हर एक लोग उठाते है| पिछले कई सालों से मनाए जाने वालें इस उत्सव में हर कई लोग मुख्य अतिथि बनते है| पिछलें कई वर्षों में कई सम्माननीय लोग आए जिसमे अरुणाचल के पॉवर मिनिस्टर मुख्य अतिथि थे औए ब.ब.सी.के मशहूर पत्रकार और लेखक मार्क टली स्पेशल गेस्ट थे जिन्हें देखने वालों की काफी भीड़ भी होती है।
मोनॅस्ट्री के बाहर भगवान् बुद्ध की प्रतिमा को एक पेड़ के नीचे स्थापित किया जाता है और यहां पर सबसे पहले बुद्ध की मूर्ति की सामने दिया जलाया जाता है, क्योंकि इस फेस्टिवल की शुरुआत सबसे पहले दिए जला कर की जाती है और उसके बाद प्रेयर फ्लॅग्स को बाँधा जाता है। जिस समय इन फ्लॅग्स को ऊपर किया जाता है, उस समय फ्लोर को हाथ मे लेकर जोर जोर से बोलते है “लहा सो लो,की की सो सो लहा ग्यल लो” (“मे द गॉड्स बी विक्टोरीयस” या “भगवान की जीत हो”) इसके बाद तवांग डिस्ट्रिक्ट के विभिन्न नृत्य प्रस्तुत किये जाते है, जिनमे से कई नृत्य का विडियो हम कई जगह देख सकते है।